अरबी से हिंदी तर्जमा

ﺩﺧﻞ ﺭﺟﻞ ﻋﻠﻰ أحد العلماء ، فوجده ﻳﺸﺮﺡ ﻟﻄﻼﺑﻪ ﺻﺤﻴﺢ ﺍﻟﺒﺨﺎﺭﻱ، فقال ﺍﻟﺮﺟﻞ للشيخ : ﺍﻟﻨﺎﺱ ﻓﻲ ﺍﻟﻐﺮﺏ ﻭﺻﻠﻮﺍ ﺇﻟﻰ ﺍﻟﻘﻤﺮ، ﻭﺃﻧﺖ ﺗﺸﺮﺡ ﺍﻟﺒﺨﺎﺭﻱ !

فقال ﺍﻟﺸﻴﺦ : ﻭﻣﺎ ﺍﻟﻌﺠﺐ ﻓﻲ هذا يا بني ؟ ﻣﺨﻠﻮﻕ ﻭﺻﻞ ﺇﻟﻰ ﻣﺨﻠﻮﻕ ، ﻭﻧﺤﻦ ﻧﺮﻳﺪ ﺃﻥ ﻧﺼﻞ ﺇﻟﻰ ﺍﻟﺨﺎﻟﻖ.
وﻟﻜﻦ ﺃﺗﻌﻠﻢ ﺃﻧﻚ ﺃﻧﺖ ﺍﻟﻤﻔﻠﺲ ﺍﻟﻮﺣﻴﺪ ﺑﻴﻨﻨﺎ؟! ﻓﻼ ﺃﻧﺖ ﻭﺻﻠﺖ ﺍﻟﻘﻤﺮ ﻣﻌﻬﻢ ، ﻭﻻ ﻗﺮﺃﺕ ﺍﻟﺒﺨﺎﺭﻱ معنا.

- هكذا بعض الناس ممن لا يعلم ولا يعمل ، وهمه فقط الانتقاد والانتقاص من الآخرين.
एक आदमी एक उस्ताद के पास गया। उन्हें वहाँ अपने शागिर्दों को बुख़ारी शरीफ (हदीस की किताब) पढ़ाते हुए देखा, तो उस आदमी ने उनसे कहा:
"उस्ताद जी! योरोप वाले चाँद पर चले गए और आप अभी बुख़ारी ही पढ़ा रहे हैं?"
उस्ताद जी कहने लगे:
बेटे! इसमें तअज्जुब की क्या बात है कि एक मख़लूक़ दूसरी मख़लूक़ तक पहुँच गई? बड़ी बात तो यह है कि हम मख़लूक़ तक नहीं ख़ालिक़ (पैदा करने वाले) तक पहुंचा रहे हैं।
बेटे! मैं समझता हूँ कि हम में सब से मुफ़लिस और नादार शख़्स तुम ही हो इसलिए कि ना तो तुम उनलोगों के साथ चाँद पर गए और ना ही हमारे साथ बैठ कर बुख़ारी पढ़ी।।।

मोरल ऑफ द स्टोरी:
कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास ना तो इल्म होता है और ना ही अमल, वो बस दूसरों की तनक़ीद(बुराई ढूँडना)और तनक़ीस(नीचा दिखाना) जानते हैं।।।

अरबी से हिंदी तर्जमा: नासिर मनेरी, 9654812767

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